फिलीपींस के बनाउ की वो रहस्यमयी कहानी जो न जानने पर आप पछताएंगे

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A professional wide-angle shot capturing the majestic Banaue Rice Terraces, sculpted into lush green steps across towering mountains. An Ifugao farmer, fully clothed in traditional and modest attire, is seen tending to a section of the rice paddies, a symbol of ancient wisdom. The scene is enveloped in soft morning mist, with clear, reflecting water in the terraces. Perfect anatomy, correct proportions, natural pose, well-formed hands, proper finger count, natural body proportions, professional photography, cinematic lighting, high detail, ultra realistic, safe for work, appropriate content, fully clothed, modest, family-friendly.

फिलीपींस के लुज़ोन द्वीप के इफुगाओ प्रांत में स्थित, बानाउए चावल के टेरेस (चावल के खेत) सिर्फ़ खेत नहीं हैं, बल्कि यह मानव इंजीनियरिंग और प्रकृति की अविश्वसनीय सहभागिता का एक जीता-जागता प्रमाण हैं। मैंने जब पहली बार इनकी तस्वीरें देखीं, तो सच कहूँ, मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। ऐसा लगा मानो किसी विशालकाय कलाकार ने पहाड़ को तराश कर सीढ़ियों का एक जटिल जाल बिछा दिया हो।इन टेरेस को अक्सर ‘दुनिया का आठवाँ अजूबा’ कहा जाता है, और यह सिर्फ़ इनकी भव्यता के लिए नहीं, बल्कि इनके पीछे छिपी प्राचीन कहानियों और किंवदंतियों के लिए भी है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी इन खेतों को सींचने वाले इफुगाओ लोग, प्रकृति के साथ अपने गहरे रिश्ते और पूर्वजों के प्रति सम्मान की कहानियाँ सुनाते आए हैं। आजकल, जब हम जलवायु परिवर्तन और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तब बानाउए टेरेस की कहानियाँ और भी प्रासंगिक हो जाती हैं।यह सिर्फ़ मिट्टी और पानी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के धैर्य, दृढ़ता और अद्वितीय विशेषज्ञता की गाथा है जिन्होंने इसे बिना किसी आधुनिक उपकरण के बनाया। मुझे हमेशा से ऐसी जगहों की कहानियों में बहुत दिलचस्पी रही है, जहाँ प्रकृति और मानव का सहयोग एक कलाकृति का रूप ले लेता है। बानाउए के ये टेरेस उन रहस्यों और लोककथाओं से भरे हुए हैं, जो उनकी निर्माण प्रक्रिया जितनी ही विस्मयकारी हैं।अगर आप भी इन प्राचीन खेतों की रहस्यमय दुनिया में खो जाना चाहते हैं और उनकी प्रेरणादायक कहानियों को समझना चाहते हैं, तो इस पर निश्चित रूप से बताऊंगा!

अगर आप भी इन प्राचीन खेतों की रहस्यमय दुनिया में खो जाना चाहते हैं और उनकी प्रेरणादायक कहानियों को समझना चाहते हैं, तो इस पर निश्चित रूप से बताऊंगा!

प्राचीन इंजीनियरिंग और इफ़ुगाओ ज्ञान की अद्भुत गाथा

रहस - 이미지 1
ये सीढ़ीनुमा खेत केवल एक कृषि संरचना नहीं हैं; ये इफ़ुगाओ लोगों की अविश्वसनीय इंजीनियरिंग कौशल और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध का प्रतीक हैं। मुझे हमेशा यह बात आश्चर्यचकित करती है कि हजारों साल पहले, जब आधुनिक उपकरण और तकनीक नहीं थी, तब कैसे इन लोगों ने पहाड़ों को इतनी सटीकता से तराशा होगा। आप कल्पना कीजिए, बिना किसी सीमेंट या मशीन के, सिर्फ हाथों और पत्थरों का इस्तेमाल करके, उन्होंने पहाड़ों के ढलानों पर ऐसी मजबूत दीवारें बनाईं जो आज भी हजारों टन मिट्टी और पानी को रोक कर रखती हैं। यह सिर्फ कड़ी मेहनत नहीं, बल्कि मिट्टी, पानी और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों की गहरी समझ थी। जब मैंने पहली बार वहाँ की तस्वीरों में इन टेरेस को देखा था, तो मुझे लगा था कि यह सब कैसे संभव हुआ होगा। वहाँ जाकर महसूस हुआ कि यह सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक जीता-जागता इतिहास है।

1. जल प्रबंधन का रहस्य

इफ़ुगाओ लोग जल प्रबंधन के विशेषज्ञ थे, और यह उनकी सदियों पुरानी इंजीनियरिंग का एक प्रमुख पहलू है। उन्होंने पहाड़ों से बहने वाले झरनों और वर्षा जल को कुशलता से मोड़ने के लिए एक जटिल सिंचाई प्रणाली विकसित की। इस प्रणाली में बाँस के पाइप और चैनलों का एक जाल शामिल है जो पानी को एक टेरेस से दूसरे टेरेस तक पहुंचाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि हर पैड़ी को समान रूप से पानी मिले। यह देखकर मैं दंग रह गया कि कैसे हर टेरेस पर पानी का स्तर बिल्कुल समान रखा जाता है, जैसे किसी ने माप-तौल कर डाला हो। उन्होंने न केवल खेतों को सींचा, बल्कि पानी के प्रवाह को नियंत्रित करके मिट्टी के कटाव को भी रोका। मेरे लिए, यह केवल तकनीकी कौशल नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ एक संवेदनशील नृत्य था, जहाँ मनुष्य ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना उससे तालमेल बिठाया। यह वाकई ऐसी जगह है जो आपको सिखाती है कि आप प्रकृति के साथ कैसे रह सकते हैं, न कि उसके खिलाफ।

2. पीढ़ी-दर-पीढ़ी विरासत का संरक्षण

इन टेरेस का निर्माण एक रात का काम नहीं था, बल्कि यह हजारों पीढ़ियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। इफ़ुगाओ समुदाय में, इन खेतों की देखभाल और मरम्मत एक सामूहिक जिम्मेदारी है। बच्चे अपने माता-पिता और दादा-दादी से खेती और टेरेस के रखरखाव के तरीकों को सीखते हैं, जिससे यह प्राचीन ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है। मैं जब वहाँ के स्थानीय लोगों से मिला, तो मुझे लगा कि वे अपने खेतों को सिर्फ अपनी जमीन नहीं मानते, बल्कि अपने पूर्वजों की विरासत और अपनी पहचान का हिस्सा मानते हैं। यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में भी कुछ समुदाय अपनी जड़ों से इतने मजबूती से जुड़े हुए हैं। यह सिर्फ पत्थर और मिट्टी का काम नहीं, बल्कि उस समुदाय के अटूट बंधन और सहयोग का भी प्रतीक है।

संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत संग्रहालय

बानाउए चावल के टेरेस केवल कृषि के लिए नहीं हैं; वे इफ़ुगाओ संस्कृति और परंपराओं का एक जीवंत प्रतीक हैं। इन खेतों ने उनके जीवन के हर पहलू को आकार दिया है, उनके त्योहारों से लेकर उनके सामाजिक ताने-बाने तक। यह वह जगह है जहाँ आपको महसूस होगा कि संस्कृति सिर्फ किताबों में नहीं होती, वह जीती-जागती सांस लेती है। मैंने जब वहाँ के स्थानीय त्योहारों और अनुष्ठानों के बारे में सुना, तो मुझे लगा कि यह सिर्फ खेत नहीं, बल्कि एक मंदिर है जहाँ वे अपने पूर्वजों और प्रकृति का सम्मान करते हैं।

1. त्योहार और रीति-रिवाज

इफ़ुगाओ लोगों के जीवन में चावल की खेती और टेरेस का गहरा महत्व है, और यह उनके कई त्योहारों और रीति-रिवाजों में परिलक्षित होता है। बुल्गोल (Bulol) जैसे अनुष्ठान, जो चावल के देवता को समर्पित हैं, फसल के अच्छे होने और समुदाय की समृद्धि के लिए किए जाते हैं। ये त्योहार न केवल आध्यात्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि समुदाय को एक साथ लाते हैं। मैंने जब इन कहानियों को सुना, तो मुझे लगा कि यह केवल कृषि का चक्र नहीं, बल्कि जीवन का चक्र है, जिसमें लोग प्रकृति के साथ अपने रिश्ते को हर दिन जीते हैं। उनके पारंपरिक नृत्य और गीत भी अक्सर चावल के चक्र और खेतों की सुंदरता से प्रेरित होते हैं। यह देखकर मैं भावुक हो गया कि कैसे सदियों पुराना यह जीवन चक्र आज भी उनकी संस्कृति में इतना जीवंत है।

2. टेरेस के संरक्षक: इफ़ुगाओ लोग

इफ़ुगाओ लोग इन प्राचीन टेरेस के सच्चे संरक्षक हैं। वे न केवल अपने खेतों को सावधानी से जोतते हैं, बल्कि अपनी पारंपरिक जीवनशैली और ज्ञान को भी जीवित रखते हैं। उनकी सरल जीवनशैली, प्रकृति के प्रति सम्मान और अपनी विरासत के प्रति समर्पण आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। जब मैं वहाँ के एक स्थानीय गाइड से बात कर रहा था, तो उसने बताया कि वे इन टेरेस को केवल एक जीविका का साधन नहीं मानते, बल्कि अपने पूर्वजों का दिया हुआ एक पवित्र उपहार मानते हैं। उनके लिए यह सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनकी आत्मा का हिस्सा है। उनकी कहानियों में, उनकी मुस्कुराहट में, और उनके हर काम में यह सम्मान झलकता है। यह अनुभव आपको सिखाता है कि कैसे प्रकृति के साथ एक सामंजस्यपूर्ण जीवन जिया जा सकता है।

कृषि से परे: आर्थिक और पर्यटन का प्रभाव

बानाउए चावल के टेरेस ने इफ़ुगाओ समुदाय के लिए केवल भोजन ही नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक आधार भी प्रदान किया है, खासकर पर्यटन के माध्यम से। जब मैंने वहाँ की यात्रा की, तो मैंने देखा कि ये टेरेस कैसे स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देते हैं और लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई कि ये प्राचीन खेत आधुनिक दुनिया में भी अपना महत्व बनाए हुए हैं।

1. स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार

आजकल, बानाउए चावल के टेरेस फिलीपींस के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। हर साल हजारों पर्यटक इन अद्भुत संरचनाओं को देखने आते हैं। यह पर्यटन स्थानीय समुदाय के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। गाइड, स्थानीय हस्तशिल्प विक्रेता, रेस्तरां मालिक और लॉज ऑपरेटर सभी इस पर्यटन से लाभ उठाते हैं। मेरे खुद के अनुभव में, मैंने देखा कि कैसे स्थानीय लोग पर्यटकों के साथ गर्मजोशी से पेश आते हैं और उन्हें अपनी संस्कृति और इतिहास से जोड़ते हैं। हालाँकि, पर्यटन के अपने फायदे और नुकसान भी हैं; इसे सावधानी से प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि टेरेस की अखंडता और स्थानीय संस्कृति को नुकसान न पहुँचे। यह एक नाजुक संतुलन है जिसे बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।

2. स्थायी पर्यटन की चुनौतियाँ और अवसर

स्थायी पर्यटन बानाउए टेरेस के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। एक ओर, पर्यटन राजस्व संरक्षण प्रयासों में मदद करता है, लेकिन दूसरी ओर, अत्यधिक भीड़ और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति पर दबाव डाल सकता है। मुझे लगता है कि यह हम पर्यटकों की जिम्मेदारी है कि हम सम्मानपूर्वक यात्रा करें, स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करें और पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव डालें। वहाँ रहते हुए मुझे यह महसूस हुआ कि यह सिर्फ एक पर्यटक स्थल नहीं है, बल्कि एक जीवित विरासत है जिसकी हमें रक्षा करनी है। स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें पर्यटन से सीधे लाभ पहुंचाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे इन टेरेस को संरक्षित रखने के लिए प्रेरित होते रहें।

मेरी यात्रा: हरी सीढ़ियों तक

बानाउए टेरेस तक की मेरी यात्रा एक सपने के सच होने जैसा था। मैं लंबे समय से इन अद्भुत सीढ़ियों को अपनी आँखों से देखना चाहता था, और जब वह मौका मिला, तो मैंने हर पल को जिया। यह सिर्फ एक पर्यटक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे अंदर तक छुआ।

1. यात्रा की तैयारी और अनुभव

बानाउए की यात्रा थोड़ी लंबी और थका देने वाली हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से इसके लायक है। मैंने मनीला से बानाउए के लिए रात की बस ली, जो लगभग 8-10 घंटे का सफर था। बसें आरामदायक थीं, लेकिन पहाड़ी रास्ते थोड़े घुमावदार हो सकते हैं, इसलिए यात्रा की बीमारी वाले लोगों को दवा लेनी चाहिए। सुबह जल्दी बानाउए पहुँचने पर, ठंडी हवा और चारों ओर हरी-भरी पहाड़ियाँ देखकर मेरी सारी थकान दूर हो गई। मैंने एक स्थानीय गाइड किराए पर लिया, जो बहुत मददगार साबित हुआ। उसने मुझे सिर्फ रास्ते ही नहीं बताए, बल्कि इफ़ुगाओ लोगों की कहानियाँ और किंवदंतियाँ भी सुनाईं, जिससे मेरी यात्रा और भी समृद्ध हो गई। गाइड के साथ पहाड़ों पर चढ़ते हुए, हर मोड़ पर एक नया और विस्मयकारी दृश्य सामने आता था, जो मेरे कैमरे और मेरी याददाश्त में हमेशा के लिए कैद हो गया।

2. अविस्मरणीय पल और स्थानीय व्यंजन

मेरी यात्रा का एक अविस्मरणीय पल वह था जब मैं सुबह-सुबह टेरेस के ऊपर एक पहाड़ी पर खड़ा था, और सूरज की पहली किरणें उन हरी पैड़ियों पर पड़ रही थीं। कोहरा धीरे-धीरे छंट रहा था, और दृश्य किसी पेंटिंग से कम नहीं था। मुझे ऐसा लगा मानो मैं किसी अलग ही दुनिया में आ गया हूँ। स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेना भी एक यादगार अनुभव था। मैंने इफ़ुगाओ चावल और उनकी पारंपरिक सब्जियाँ खाईं, जो ताजी और स्वादिष्ट थीं। मैंने उनकी ‘पिनिकपिकन’ (Pinikpikan) नामक पारंपरिक चिकन डिश भी ट्राई की, जो एक अनोखा अनुभव था। यह सिर्फ खाना नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति का एक हिस्सा था।

विशेषता विवरण
स्थान इफ़ुगाओ प्रांत, लुज़ोन द्वीप, फिलीपींस
निर्माण माना जाता है कि लगभग 2,000 साल पहले इफ़ुगाओ पूर्वजों द्वारा निर्मित
मान्यता यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, ‘दुनिया का आठवाँ अजूबा’ के रूप में जाना जाता है
ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1,500 मीटर (4,900 फीट) ऊपर
सिंचाई प्रणाली पहाड़ी झरनों से पारंपरिक गुरुत्वाकर्षण-आधारित सिंचाई
महत्व सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कृषि विरासत का प्रतीक

इन प्राचीन अजूबों का भविष्य

बानाउए चावल के टेरेस, अपनी भव्यता और प्राचीनता के बावजूद, आज कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से लेकर आधुनिकीकरण तक, कई कारक उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं। यह सिर्फ फिलीपींस की समस्या नहीं है, बल्कि दुनिया भर में ऐसी कई प्राचीन संरचनाएँ और परंपराएँ हैं जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। मुझे चिंता होती है कि कहीं ये अनमोल विरासतें हमारी आँखों के सामने ही गायब न हो जाएँ।

1. संरक्षण के प्रयास और वैश्विक चुनौतियाँ

इन टेरेस का संरक्षण एक जटिल कार्य है। मौसम में बदलाव, जैसे भारी बारिश और सूखे, मिट्टी के कटाव का कारण बन रहे हैं, जिससे टेरेस की संरचना को नुकसान पहुँच रहा है। इसके अलावा, युवा पीढ़ी का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन भी एक चुनौती है, क्योंकि पारंपरिक खेती के ज्ञान को आगे बढ़ाने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है। यूनेस्को और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन इन टेरेस के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों और फिलीपींस सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वे संरक्षण परियोजनाओं को निधि दे रहे हैं और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। मैंने जब वहाँ के स्थानीय लोगों से इस बारे में बात की, तो मुझे लगा कि वे वाकई इन टेरेस को बचाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं, और हमें उनकी मदद करनी चाहिए।

2. हमें उनसे क्या सीखना चाहिए?

बानाउए चावल के टेरेस हमें केवल एक सुंदर दृश्य ही नहीं देते, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि कैसे मनुष्य और प्रकृति एक सामंजस्यपूर्ण तरीके से सह-अस्तित्व में रह सकते हैं। वे दृढ़ता, धैर्य, सामुदायिक सहयोग और अपने पूर्वजों के ज्ञान का सम्मान करने का प्रतीक हैं। आजकल, जब हम स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण के बारे में बात करते हैं, तो इफ़ुगाओ लोगों ने हजारों साल पहले ही इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था। मुझे व्यक्तिगत रूप से इन टेरेस को देखकर यह महसूस हुआ कि हमें अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिए और प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। यह सिर्फ चावल के खेत नहीं, बल्कि मानवता की अद्भुत क्षमताओं और प्रकृति के प्रति उसके सम्मान की कहानी है, जो हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

글 को समाप्त करते हुए

बानाउए चावल के टेरेस सिर्फ फिलीपींस का एक अजूबा नहीं, बल्कि मानवता की दृढ़ता और प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने की एक अद्भुत कहानी है। मेरी यह यात्रा सिर्फ़ खूबसूरत नज़ारों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसने मुझे जीवन के कई अनमोल सबक सिखाए। यह जगह हमें याद दिलाती है कि कैसे हमारे पूर्वजों ने बिना आधुनिक तकनीक के भी अविश्वसनीय संरचनाएँ बनाईं और प्रकृति का सम्मान करते हुए उससे तालमेल बिठाकर जीवन जिया। मुझे उम्मीद है कि ये प्राचीन खेत हमेशा ऐसे ही हरे-भरे रहेंगे और हमें प्रेरित करते रहेंगे। अगर आप भी कभी वहाँ जाएँ, तो हर पल को जीएँ और इफ़ुगाओ लोगों की कहानियों को सुनें।

काम की जानकारी

1. बानाउए चावल के टेरेस घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से मई या अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है, जब धान की फसलें हरी-भरी होती हैं या कटाई के लिए तैयार होती हैं। इस समय मौसम भी सुहावना रहता है।

2. मनीला से बानाउए तक पहुँचने के लिए रात भर की बस यात्रा सबसे आम तरीका है। यह यात्रा लगभग 8-10 घंटे लेती है, इसलिए आरामदायक कपड़े और कुछ स्नैक्स साथ रखें।

3. पहाड़ों में घूमने के लिए आरामदायक जूते, बारिश से बचने के लिए रेनकोट या छाता, और धूप से बचाव के लिए सनस्क्रीन और टोपी ज़रूर साथ ले जाएँ। ट्रेकिंग के दौरान पानी की बोतल रखना भी ज़रूरी है।

4. स्थानीय संस्कृति और टेरेस की जटिलताओं को समझने के लिए एक स्थानीय गाइड को किराए पर लेना अत्यधिक अनुशंसित है। वे आपको छिपे हुए रास्तों और कहानियों से परिचित कराएँगे जो आप अकेले नहीं जान पाएँगे।

5. यात्रा करते समय स्थानीय समुदाय और पर्यावरण का सम्मान करें। कचरा न फैलाएँ, स्थानीय उत्पादों को खरीदकर अर्थव्यवस्था का समर्थन करें, और लोगों के घरों या खेतों में बिना अनुमति के प्रवेश न करें।

मुख्य बातें

बानाउए चावल के टेरेस इफ़ुगाओ लोगों की अद्वितीय इंजीनियरिंग, जल प्रबंधन कौशल और पीढ़ी-दर-पीढ़ी विरासत के संरक्षण का प्रतीक हैं। यह स्थल संस्कृति, परंपरा और प्रकृति के साथ गहरे संबंध का जीवंत संग्रहालय है, जहाँ प्राचीन रीति-रिवाज आज भी प्रासंगिक हैं। पर्यटन ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति दी है, लेकिन स्थायी पर्यटन के माध्यम से संरक्षण और सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। मेरी यात्रा ने दिखाया कि यह सिर्फ एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक विरासत है जो हमें प्रकृति का सम्मान करने और सामुदायिक सहयोग के महत्व को सिखाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: बानाउए चावल के टेरेस को अक्सर ‘दुनिया का आठवाँ अजूबा’ क्यों कहा जाता है?

उ: सच कहूँ, जब मैंने पहली बार इन टेरेस की तस्वीरें देखीं, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। ऐसा लगा मानो किसी विशालकाय कलाकार ने पहाड़ को तराश कर सीढ़ियों का एक जटिल जाल बिछा दिया हो। इन्हें ‘आठवाँ अजूबा’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये सिर्फ़ खेत नहीं हैं, बल्कि मानव इंजीनियरिंग और प्रकृति की अविश्वसनीय सहभागिता का एक जीता-जागता प्रमाण हैं। सोचिए, हज़ारों साल पहले, बिना किसी आधुनिक उपकरण के, इन इफुगाओ लोगों ने पहाड़ों को ऐसा आकार दिया कि वहाँ चावल उगाया जा सके। यह सिर्फ़ भव्यता नहीं, बल्कि उस अथाह धैर्य, सामूहिक प्रयास और अद्वितीय ज्ञान का प्रतीक है जो हमें हैरान कर देता है। ऐसी जगह और कहीं नहीं मिलेगी, जहाँ प्रकृति और इंसान का तालमेल इतना अद्भुत हो।

प्र: इफुगाओ लोग इन विशाल टेरेस का निर्माण बिना किसी आधुनिक उपकरण के कैसे कर पाए? यह क्या दर्शाता है?

उ: यह बात हमेशा मुझे सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे उन लोगों ने यह सब किया होगा! ईमानदारी से कहूँ, यह उनकी अदम्य इच्छाशक्ति, धैर्य और सदियों पुराने पारंपरिक ज्ञान का कमाल है। इफुगाओ लोगों ने पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए एक जटिल हाइड्रोलिक सिंचाई प्रणाली विकसित की, जो पहाड़ों के झरनों और बारिश के पानी को कुशलता से टेरेस तक पहुँचाती है। यह सिर्फ़ व्यक्तिगत मेहनत नहीं थी, बल्कि पूरे समुदाय का एक साथ मिलकर काम करने का नतीजा था, जहाँ हर परिवार का अपना हिस्सा होता था और वे मिलकर इन संरचनाओं की देखभाल करते थे। उन्होंने प्रकृति को समझा और उसके साथ सामंजस्य बिठाकर काम किया, न कि उसके ख़िलाफ़ जाकर। यह उनकी विशेषज्ञता और पीढ़ियों से चले आ रहे ज्ञान का सच्चा प्रमाण है – दिखाता है कि इंसानी दिमाग़ और हाथ क्या कुछ नहीं कर सकते, जब इरादा नेक और सम्मान गहरा हो।

प्र: आज के समय में बानाउए टेरेस की कहानियाँ और उनका महत्व क्या है?

उ: आज के दौर में जब हम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तब बानाउए टेरेस की कहानियाँ और भी ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं। मेरे लिए ये सिर्फ़ खेत नहीं, बल्कि इंसानी दृढ़ता, समुदाय की शक्ति और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की एक जीवंत पाठशाला हैं। यह हमें सिखाते हैं कि कैसे बिना प्रकृति को नुकसान पहुँचाए, हम अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं, और यह हमें पारंपरिक ज्ञान के महत्व को समझाते हैं, जिसे हम आज अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इनकी कहानियाँ हमें प्रेरणा देती हैं कि कैसे धैर्य और सामूहिक प्रयास से हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं। यह सिर्फ़ इतिहास की बात नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक सबक है कि कैसे हम अपने पर्यावरण और विरासत का सम्मान करते हुए आगे बढ़ सकते हैं।